महाराष्ट्र में तेज बारिश का कहर: पुणे घाटमाथा पर रेड अलर्ट, कई जिलों में अतिवृष्टि से संकट

मुंबई : बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव क्षेत्र के कारण महाराष्ट्र में बारिश का जोर बढ़ गया है। यह प्रणाली फिलहाल दक्षिण छत्तीसगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय है और समुद्र सतह से 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक चक्रवाती हवाएं बह रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, यह तंत्र पश्चिम की ओर बढ़ते हुए कल (18 अगस्त) तक गुजरात की ओर सरकने की संभावना है। इसके साथ ही बंगाल की खाड़ी में फिर से एक नया कम दबाव क्षेत्र बनने के संकेत भी मिल रहे हैं।
शनिवार (16 अगस्त) सुबह तक कोकण और घाटमाथा क्षेत्र में भारी बारिश हुई। रत्नागिरी जिले के सावर्डे में 231 मिमी और चिपळूण में 223 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं भंडारा में तापमान 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। कई जगहों पर 100 मिमी से अधिक बारिश होने के कारण अतिवृष्टि की स्थिति बनी हुई है।
मौसम विभाग ने आज (17 अगस्त) पुणे जिले के घाटमाथा क्षेत्र के लिए रेड अलर्ट जारी किया है और भारी बारिश का अनुमान जताया है। वहीं कोकण, सातारा, कोल्हापुर घाटमाथा, यवतमाल, चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। नाशिक घाटमाथा, जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड और अमरावती जिलों सहित राज्य के अन्य हिस्सों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताते हुए येलो अलर्ट घोषित किया गया है।
किसानों के लिए सावधानियां
भारी बारिश के कारण खरीफ और बारहमासी फसलों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसानों को विशेष सावधानियां बरतना जरूरी है –
खरीफ फसलें (सोयाबीन, तूर, मक्का, धान आदि)
- खेतों में पानी जमा न हो, इसके लिए उचित निकासी व्यवस्था करें।
- धान की खेती में अतिरिक्त पानी निकालकर जल स्तर संतुलित रखें।
- बारिश से रोग बढ़ने की संभावना को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर समय-समय पर दवा/फफूंदनाशी का छिड़काव करें।
बारहमासी फसलें (गन्ना, केला, अनार, अंगूर आदि)
- पौधों के पास पानी जमा न होने दें।
- तेज हवा की स्थिति में केला और अंगूर की बेलों के लिए सहारा मजबूत करें।
- बारिश के बाद कीट और फफूंद रोगों से बचाव के लिए आवश्यक दवा का छिड़काव करें।
पशुओं की देखभाल
- चारे का उचित भंडारण करें।
- गोठों में सफाई और सूखापन बनाए रखें ताकि पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाया जा सके।
कुल मिलाकर, राज्य में लगातार हो रही भारी बारिश खरीफ और बारहमासी फसलों के लिए चुनौती बन रही है, लेकिन समय पर उठाए गए कदम नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं। मौसम विभाग के अलर्ट को ध्यान में रखते हुए किसानों और पशुपालकों को सतर्क रहना ही सबसे जरूरी है।
