औरंगाबाद: बनावट नोटों का रैकेट जारी, सीडीएम मशीन में फंसी साढ़े छह हजार की नकली नोटें

औरंगाबाद में बनावट नोटों का रैकेट अभी भी सक्रिय है। एक महीने पहले कारखाना उजागर होने के बावजूद 500 रुपये की नकली नोटों का खेल शहर में लगातार चल रहा है। दो दिन पहले पुंडलिकनगर के आईडीएफसी बैंक की सीडीएम मशीन (कैश डिपॉजिट मशीन) में किसी अज्ञात व्यक्ति ने साढ़े छह हजार रुपये की नकली नोटें डालने की कोशिश की और असली नोट निकालने का प्रयास किया। हालांकि बैंक ने खाते को फ्रीज कर दिया और मामले में एफआईआर दर्ज की।
बैंक के उपशाखा अधिकारी स्वप्निल अजमेरा (35) ने इस प्रकरण में शिकायत दर्ज कराई। 25 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे गजानन महाराज मंदिर परिसर स्थित बैंक शाखा की सीडीएम मशीन में नकली नोट जमा होने की सूचना मिली। जांच में पता चला कि खातेदार सरफराज खान सलीम खान (बिस्मिल्ला कॉलोनी) ने 24 अगस्त को दोपहर लगभग 1 बजे 500 रुपये की कुल 106 नोटें डाली थीं, जिनमें से 13 नोट नकली पाई गईं। पुंडलिकनगर पुलिस थाने के निरीक्षक संभाजी पवार और उपनिरीक्षक रेशीम कोळेकर मामले की जांच कर रहे हैं।
एक महीने पहले अहमदनगर के वाळूज इलाके में 31 जुलाई को अत्याधुनिक मशीन से नकली नोट छापने वाला कारखाना उजागर हुआ था। यह कारखाना राज्यभर में रैकेट चलाने वाले अंबादास रामभाऊ ससाणे उर्फ अरुण भास्कर वाघ उर्फ मेजर (45, रा. शहर टाकली, ता. शेवगाव) का था। इसमें बीड़, परळी तक नकली नोटों की पैदावार की जा रही थी।
31 जुलाई को अहमदनगर में उजागर हुए रैकेट में शहर के चार स्थानीय युवा भी शामिल पाए गए थे। 2019 से शहर में सात बार नकली नोटों का रैकेट खुल चुका है, लेकिन शहर पुलिस और एटीएस अब तक इसकी जड़ तक नहीं पहुंच पाए हैं। विशेष रूप से, शहर के कई होटल, रेस्टोरेंट, बार और पेट्रोल पंप पर अभी भी नकली नोट मिल रहे हैं।
मेजर अभी फरार है और परराज्य में छिपा होने का शक है। अहमदनगर पुलिस के अनुसार, अंबादास ने अपने गिरोह के माध्यम से नकली पैसे अभी भी बाजार में इस्तेमाल करने की कोशिश की है। पिछले हफ्ते भी नकली नोट इस्तेमाल करने वाले कुछ युवाओं को पकड़ा गया था। मेजर को नासिक, औरंगाबाद और मुंबई में तलाशा गया, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली। पुलिस को शक है कि वह परराज्य जाकर छिपा है।
