जयंत पाटील बोले: “केंद्र और राज्य में भाजपा की सत्ता के बावजूद हिंदू खतरे में क्यों? हमें सत्ता दीजिए, हम सुरक्षा करेंगे”

मुंबई: महाराष्ट्र के वरिष्ठ विधायक जयंत पाटील ने हिंदू समाज की स्थिति और देश की प्रगति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पिछली कुछ दशकों में हिंदू समाज को खतरे में बताना एक नया रुझान है। उन्होंने याद दिलाया कि अल्पसंख्यक समाज के दो लोग देश के उच्च पदों पर रहते हुए भी देश सुचारू रूप से चलता रहा, तब कभी यह नहीं कहा गया कि हिंदू खतरे में हैं।
जयंत पाटील ने कहा, “पिछले 10-12 वर्षों में ही हिंदू खतरे में बताए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सत्ता है, फिर भी यह क्यों कहा जाता है? यदि सच में हिंदू खतरे में हैं, तो हमें सत्ता दीजिए, हम उनके संरक्षण की व्यवस्था करेंगे। हिंदू समाज बलवान और समर्थ है। हमारा हिंदू सभी को समान मान देता है और अन्य धर्मों के अस्तित्व को स्वीकार करता है। यही कारण है कि भारत आज भी चल रहा है।”
उन्होंने वाचाळवीरों (बोलने वालों) की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जताई। जयंत पाटील ने कहा कि कुछ लोग अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ द्वेष फैलाते हैं और यह गलत संदेश देता है। “आज देश में विकास के मुद्दे को छोड़कर स्टंट किए जा रहे हैं। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, डॉलर 60 रुपये पर था, उस समय उन पर आलोचना हुई। आज डॉलर 90 के आसपास है, फिर कोई बात नहीं करता। इसका अर्थ है कि प्रगति हुई है, न कि अधोगति।”
विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने पाकिस्तान के साथ युद्ध को 40 बार टाला। “ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करने का यह दुर्लभ अवसर था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देश के समर्थन के बावजूद सरकार ने पाकिस्तान को पूरी तरह नष्ट करने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए? ट्रम्प की नाड़ी पर हमारी प्रतिक्रिया सीमित रही और फिर उन्होंने टैरिफ बढ़ाया।”
जयंत पाटील ने देश के उपराष्ट्रपति की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यदि उपराष्ट्रपति लंबे समय तक गायब रह सकते हैं, तो फिर आम नागरिक की भूमिका कितनी सुरक्षित है, इस पर विचार किया जाना चाहिए।”
यह बयान जयंत पाटील ने विधायक गोपीचंद पडळकर के एक भाषण के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि देश का ध्यान केवल धर्म और खतरे पर न जाकर विकास और प्रगति पर होना चाहिए।
