क्या राजनीति अब चोर-लुटेरों का अड्डा बन चुकी है? – देश की सियासत पर खान एजाज़ अहमद की तीखी टिप्पणी
देश के युवाओं को बदलनी होगी राजनीति – खान एजाज़ अहमद की नई संकल्पना

आज का सियासी माहौल देखकर हर जागरूक नागरिक के मन में एक ही सवाल उठता है – क्या सत्ता पाने के लिए अब धार्मिक उन्माद, जात-पात, भाषा, क्षेत्रीय विवाद और दंगे ही जरूरी हो गए हैं? क्या नेता बनने के लिए मक्कारी और चालाकी को ही राजनीति का आधार मान लिया गया है? यही सवाल खान एजाज़ अहमद ने उठाते हुए देश की मौजूदा राजनीति पर गहरी चोट की है।
ईमानदारी और भाईचारे की ताकत
खान एजाज़ अहमद का मानना है कि राजनीति सिर्फ कुर्सी हासिल करने का माध्यम नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह जनसेवा और समाज को आगे बढ़ाने का ज़रिया होना चाहिए। उन्होंने इतिहास और वर्तमान के कई नेताओं का उदाहरण देते हुए बताया कि बिना चालबाज़ी और भ्रष्टाचार के भी सत्ता पर काबिज हुआ जा सकता है।
- लाल बहादुर शास्त्री – जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए सादगीपूर्ण जीवन जिया और “जय जवान, जय किसान” जैसे नारे से देश को नई दिशा दी।
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी “जनता के राष्ट्रपति” कहलाए, जिन्होंने कभी निजी लाभ नहीं उठाया और युवाओं को देशसेवा के लिए प्रेरित किया।
- ए. के. अंटनी – जिन्हें “मिस्टर क्लीन” कहा गया, जिन पर कभी भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा।
- कमलापति त्रिपाठी और मनोज कुमार सिन्हा – जिन्होंने सादगी और ईमानदारी से राजनीति की।
इन नेताओं का जीवन इस बात का प्रमाण है कि राजनीति में भाईचारा और ईमानदारी भी चुनाव जितवा सकती है और जनता का दिल जीत सकती है।
मौजूदा राजनीति की सच्चाई
आज स्थिति उलट दिखाई देती है। सत्ता पाने की होड़ में चुनावों में धांधली, वोटों की चोरी, धनबल और बाहुबल का खुलकर इस्तेमाल हो रहा है। विधायक और सांसद खुलेआम खरीदे-बेचे जा रहे हैं। सत्ता में आने के बाद नेता जनता की समस्याओं को भूलकर अपने लिए महलनुमा घर और अरबों की संपत्ति खड़ी करने में लग जाते हैं। शहर और गांव विकास की राह देखते रह जाते हैं, लेकिन नेताओं का निजी विकास आसमान छूने लगता है।
खान एजाज़ अहमद का कहना है कि यह स्थिति लोकतंत्र और देश की आत्मा दोनों के लिए खतरनाक है। अगर राजनीति का मतलब सिर्फ छल, कपट और लूट बनकर रह जाएगा, तो जनता का विश्वास टूट जाएगा और लोकतंत्र खोखला हो जाएगा।
नई राजनीति की ज़रूरत
“क्या राजनीति अब चोर-लुटेरों का अड्डा बन चुकी है?” – यह सवाल आज हर भारतीय के दिल में है। खान एजाज़ अहमद का मानना है कि अगर उनकी संकल्पना का अनुसरण किया जाए, तो देश में एक नई क्रांति आ सकती है।
- राजनीति को फिर से सेवा और ईमानदारी से जोड़ना होगा।
- जात-पात और धर्म के नाम पर बांटने की बजाय भाईचारे और समानता पर ज़ोर देना होगा।
- चुनाव को पैसे और ताकत का खेल नहीं बल्कि विचारों और कार्यों की जंग बनाना होगा।
युवाओं की भूमिका
खान एजाज़ अहमद का स्पष्ट संदेश है कि अब देश के युवाओं को राजनीति बदलने की ज़िम्मेदारी उठानी होगी। वही नई सोच और नई ऊर्जा के साथ इस गंदी राजनीति को साफ कर सकते हैं। अगर युवा ईमानदारी, पारदर्शिता और सेवा भाव के साथ राजनीति में आएं, तो निश्चित ही आने वाला भारत एक बेहतर और विकसित भारत बनेगा।
निष्कर्ष यही है कि सत्ता पाने के लिए धर्म, जाति और हिंसा का सहारा नहीं लेना पड़ता। ईमानदारी, सादगी और भाईचारा ही असली ताकत है, और अगर देश ने इसे अपनाया तो भारत में एक नई राजनीतिक क्रांति का आगाज़ होगा।
