जन्म प्रमाणपत्र रद्दीकरण पर नागपुर हाईकोर्ट सख्त, महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

नागपुर: (रिपोर्ट–कादरी हुसैन) नागपुर उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर 2025 को एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) द्वारा दाखिल रिट याचिका (WP/5159/25) पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में राज्य सरकार के 12 मार्च 2025 के सरकारी ठराव और 17 मार्च 2025 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत 11 अगस्त 2023 के बाद नायब तहसीलदारों द्वारा जारी सभी जन्म प्रमाणपत्र रद्द करने का निर्देश दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
एपीसीआर महाराष्ट्र के महासचिव शाकिर शेख ने आरोप लगाया कि 12 मार्च 2025 के ठराव में जन्म की विलंबित पंजीकरण प्रक्रिया को जटिल बना दिया गया है। इसमें 13 नए दस्तावेजों की अनिवार्यता जोड़ दी गई, जिससे आम नागरिक खासतौर से गरीब और वंचित वर्ग गंभीर मुश्किलों में हैं। वहीं 17 मार्च 2025 के आदेश से बिना सुनवाई का अवसर दिए हजारों प्रमाणपत्र रद्द कर दिए गए, जो प्राकृतिक न्याय और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई कि इस कदम से नागरिकों की पहचान खतरे में पड़ सकती है और उन्हें धर्म के आधार पर विदेशी घोषित किए जाने का खतरा है। जन्म प्रमाणपत्र आधार कार्ड, वोटर आईडी, स्कूल प्रवेश और पासपोर्ट जैसी सेवाओं के लिए अनिवार्य दस्तावेज है, इसलिए यह फैसला आम लोगों पर गहरा असर डाल सकता है।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा के साथ एडवोकेट सैयद ओवैस अहमद, एडवोकेट शोएब इनामदार और एडवोकेट काशिफ ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी की।
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