मराठा आरक्षण पर नई पेंच: कुणबी प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट पहुँचा विवाद

मुंबई/प्रतिनिधि
मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र दिलाने के लिए राज्य सरकार ने हैदराबाद गैजेटियर लागू करने का निर्णय लिया था। यह मांग मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील ने की थी। सरकार ने उनकी मांग को मानते हुए 2 सितंबर 2023 को अधिसूचना जारी कर अंमलबजावणी शुरू की थी।
लेकिन ओबीसी संगठनों ने इसका तीव्र विरोध किया और अंततः इस अधिसूचना को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। मुख्य न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की खंडपीठ ने हैदराबाद गैजेटियर से संबंधित राज्य सरकार की अधिसूचना के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाएं स्वीकार कर ली हैं। जल्द ही नियमित सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।
इन याचिकाओं में 7 सितंबर 2023 और 31 अक्टूबर 2023 को जारी किए गए वे शासन निर्णय भी चुनौती दिए गए हैं, जिनके आधार पर मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र देने का मार्ग खुला था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार द्वारा निकाली गई अधिसूचना पूरी तरह से गैरकानूनी है और इसे तुरंत रद्द किया जाए। साथ ही, जब तक मामला अदालत में लंबित है, तब तक इसके तहत किसी को भी कुणबी प्रमाणपत्र जारी न करने की अंतरिम मांग भी की गई है।
एक याचिका शिव अखिल भारतीय वीरशैव युवक संगठन की ओर से दाखिल की गई है, जबकि दूसरी याचिका वकील विनीत धोत्रे ने दायर की है।
दरअसल, जरांगे पाटील के उपोषण आंदोलन के बाद ही राज्य सरकार ने हैदराबाद गैजेटियर लागू करने का निर्णय लिया था, ताकि मराठा समाज को ओबीसी प्रवर्ग में शामिल कर आरक्षण दिलाया जा सके। लेकिन ओबीसी समाज ने इसका विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
