“उम्मत मुस्लिम एक दाई उम्मत है, इसलिए हर मुसलमान को अपने आचरण और बोलचाल से इंसानियत तक इस्लाम का सार्वभौमिक संदेश पहुँचाना चाहिए।” — सिमाब खान (अध्यक्ष SIO)
SIO जालना की ओर से 14 सितम्बर 2025 को राज्यव्यापी अभियान “नबी ﷺ की उम्मत – दाई उम्मत” के अंतर्गत एक भव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया

जालना/कादरी हुसैन
जालना की ऐतिहासिक बाग़बान मस्जिद में आयोजित इस सम्मेलन की शुरुआत अब्दुल्लाह की तिलावत-ए-क़ुरआन (सूरह सफ़) और उसके अनुवाद से हुई। कार्यक्रम का संचालन अनस नबील ने किया।
प्रारंभिक शब्दों में सैयद तौहीद ने जालना यूनिट की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह कॉर्नर मीटिंग्स, कॉलेज व स्कूलों में व्याख्यानों और जनसंपर्क अभियानों के ज़रिये इस संदेश को जालना के लोगों तक पहुँचाया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रयास का उद्देश्य खासकर उम्मत मुस्लिम को उसकी ज़िम्मेदारियों से जागरूक करना है।
इसके बाद सिमाब खान (अध्यक्ष – SIO साउथ महाराष्ट्र) ने “फ़र्ज़-ए-मंसबी की पुकार” विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि उम्मत की असल पहचान दावत-ए-दीन पेश करने में है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि —
“अगर SIO के सदस्य और सहयोगी अपने आचरण और व्यवहार से इंसानियत के सामने इस्लाम का पैग़ाम अमन व सौहार्द के साथ पेश करें, तो यह समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। उम्मत मुस्लिम दाई उम्मत है और इस जागरूकता को हर स्तर पर पैदा करना ज़रूरी है।”
कार्यक्रम का मुख्य विषय “नबी ﷺ की उम्मत – दाई उम्मत” रहा, जिस पर मार्गदर्शन देते हुए मौलाना अब्दुलकवी फलाही (सचिव – फैमिली काउंसलिंग सेंटर, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, महाराष्ट्र) ने कहा —
“दावत-ए-दीन उम्मत मुस्लिम पर फ़र्ज़-ए-ऐन है। जैसे नमाज़ हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है, उसी तरह दीन की दावत और तबलीग भी फ़र्ज़-ए-ऐन है। लेकिन अफ़सोस कि उम्मत का बड़ा हिस्सा इस अहम ज़िम्मेदारी को नज़रअंदाज़ कर देता है। मुसलमानों को इस देश में दाई उम्मत की भूमिका अपने आचरण और अमल से निभानी चाहिए।”
सम्मेलन का समापन मौलाना अब्दुलकवी फलाही की दुआ के साथ हुआ। अंत में मोहम्मद परवेज़ ने उपस्थित सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया।
अल्लाह तआला SIO के कार्यकर्ताओं की कोशिशों को क़बूल करे और उनके उद्देश्यों को पूरा करे। आमीन।
