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शिक्षक प्रशिक्षण में क्रांतिकारी बदलाव: 2026 से लागू होंगे नए नियम, इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल होंगे अनिवार्य

नई दिल्ली/प्रतिनिधि 

शिक्षा के क्षेत्र में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था पूरी तरह से बदलने का फैसला किया है। 2026 से नए नियम लागू होंगे, जिनका असर हर उस छात्र पर पड़ेगा जो बीएड (B.Ed) या डीएलएड (D.El.Ed) करके शिक्षक बनने का सपना देख रहा है।

एक ही कोर्स पर फोकस, दोहरी पढ़ाई पर रोक
अब छात्र एक साथ बीएड और डीएलएड नहीं कर पाएंगे। नई व्यवस्था के अनुसार, किसी भी वक्त केवल एक ही कोर्स करने की अनुमति होगी ताकि पढ़ाई गहन और केंद्रित रहे।

6 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप
सबसे बड़ा बदलाव है छह महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप। यह इंटर्नशिप केवल मान्यता प्राप्त स्कूलों में होगी। इसका उद्देश्य यह है कि भावी शिक्षक सिर्फ किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि असली कक्षा की चुनौतियों का सामना कर सकें।

फर्जी डिग्रियों पर रोक
अब केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों से ली गई डिग्री ही मान्य होगी। फर्जी और गैर-मान्यता प्राप्त कॉलेजों से मिली डिग्रियों की कोई वैल्यू नहीं होगी। दाखिले से पहले संस्थान की मान्यता की जांच करना अनिवार्य होगा।

ऑनलाइन डिग्री का खेल खत्म
बीएड और डीएलएड पूरी तरह ऑनलाइन नहीं किए जा सकेंगे। थ्योरी मॉड्यूल ऑनलाइन मिल सकते हैं, लेकिन इंटर्नशिप, प्रैक्टिकल और ट्रेनिंग क्लासें केवल ऑफलाइन होंगी। उद्देश्य है कि शिक्षक केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक अनुभव भी लेकर आएं।

1 वर्षीय नया बीएड कोर्स
2026-27 से एक साल का नया बीएड कोर्स शुरू होगा। यह उन छात्रों के लिए होगा जिन्होंने चार वर्षीय स्नातक या स्नातकोत्तर पूरा कर लिया है। यह कोर्स दो सेमेस्टर का होगा और इसमें सामान्य वर्ग के लिए 50% तथा EWS वर्ग के लिए 45% न्यूनतम अंक जरूरी होंगे। खास बात यह है कि इसमें उम्र की कोई सीमा नहीं रखी गई है।

गुणवत्ता वाली शिक्षा की दिशा में कदम
इन सुधारों का मकसद है कि शिक्षक केवल सैद्धांतिक ज्ञान लेकर कक्षा में न जाएं, बल्कि बच्चों की जरूरतों को समझें और आधुनिक तकनीकों के साथ पढ़ाने का अनुभव भी रखें। इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और विद्यार्थी ज्यादा प्रभावी तरीके से सीख पाएंगे।

शिक्षा मंत्रालय और NCTE का कहना है कि “सिर्फ किताबें नहीं, बल्कि असली कक्षा का अनुभव ही किसी को असली गुरु बनाता है।” यही वजह है कि नए नियमों में इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

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