मराठवाड़ा से पश्चिम महाराष्ट्र तक बारिश का तांडव, हजारों हेक्टेयर फसलें चौपट
उस्मानाबाद, लातूर, बीड और औरंगाबाद में बारिश से हाहाकार, किसानों की आंखों में आंसू

औरंगाबाद/प्रतिनिधि
राज्यभर में कई जिलों में लगातार हो रही भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। औरंगाबाद, सांगली, सातारा, बीड, हिंगोली, उस्मानाबाद, लातूर, सोलापुर और अहमदनगर सहित कई जिलों में खेतों में पानी भर गया है, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसान कर्ज लेकर की गई मेहनत पर पानी फिरने से हताश होकर कह रहे हैं – “अब हम कैसे जिएं? सबकुछ बर्बाद हो गया।” माण और खटाव तालुकों में किसानों ने ओला सूखा घोषित करने की मांग उठाई है।
उस्मानाबाद जिले में सवा लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की फसलें नष्ट हुई हैं, जिसके लिए प्रशासन ने 191 करोड़ रुपये की मदद की मांग सरकार से की है। सोलापुर के मोहोळ तालुका में प्याज की फसल पानी में डूब गई। अहमदनगर के खडकी गांव में एक किसान ने खेत में ही पानी में बैठकर सरकार के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया। वहीं, यवतमाल और लातूर जिलों में भी बाढ़ जैसे हालात से फसलें बर्बाद हो गई हैं। लातूर के काटेजवळगा इलाके में एक व्यक्ति नदी के तेज बहाव में बह गया। मराठवाड़ा के कई भागों में 22 सितंबर को भी बारिश थमने का नाम नहीं ले रही। कृषि मंत्री ने कहा है – “किसानों की इसमें जरा भी गलती नहीं है, यह पूरी तरह प्राकृतिक आपदा है।” किसानों को अब सरकार से तात्कालिक मदद की उम्मीद है।
बीड के शिरूर कासार में बादल फटने जैसी बारिश, बाजारपेठ में घुसा पानी
बीते रात अचानक बीड जिले के शिरूर कासार में भारी बारिश हुई। इस वजह से सिंदफना नदी उफान पर आ गई और उसका पानी आसपास के घरों व दुकानों में घुस गया। नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। तहसील प्रशासन ने नागरिकों को सतर्क रहने की अपील की है। हालांकि, सौभाग्य से किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
मांजरा धरण से बढ़ा पानी का विसर्ग
धनेगांव स्थित मांजरा प्रकल्प से रविवार को चार दरवाजे खोलकर पानी छोड़ा गया था। लेकिन बढ़ती आवक को देखते हुए सोमवार को सभी छह दरवाजे खोल दिए गए और 17,333 क्यूसेक पानी का विसर्ग मांजरा नदी में किया जा रहा है। प्रशासन ने नदी किनारे के लोगों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है।
उस्मानाबाद जिले के भूम और परांडा तालुकों में हाहाकार
लगातार बारिश से चांदनी नदी उफान पर आ गई है। भूम और परांडा तालुकों के कई गांवों में स्कूलों और घरों में पानी घुस गया। जीवनावश्यक वस्तुओं के साथ किसानों की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। लोगों ने तत्काल राहत और मदद की मांग की है। परांडा तालुके के शिरसाव गांव में नदी में महापूर आने से करीब 200–300 लोग नदी के उस पार फंसे हुए हैं।
