शनिवार वाड़ा में नमाज़ का वीडियो वायरल, राजनीति में फिर भड़की सांप्रदायिक आग

पुणे: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर धर्म के नाम पर सुलग उठी है। पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा में कुछ महिलाओं के नमाज़ पढ़ने का वीडियो सामने आने के बाद माहौल गरमा गया है। वीडियो वायरल होते ही भाजपा नेताओं ने इसे “ऐतिहासिक धरोहर का अपमान” बताया और खुलकर विवादित बयान देने शुरू कर दिए।
राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी ने शनिवार वाड़ा में नमाज़ पढ़ने की घटना को “इतिहास के अपमान” से जोड़ा, जबकि भाजपा नेता नितेश राणे ने मुस्लिम समुदाय पर तीखे शब्दों में हमला बोलते हुए कहा,
“शनिवार वाड़ा हिंदू समाज के गौरव और मराठा शौर्य का प्रतीक है। अगर वहां नमाज़ पढ़ी जा सकती है, तो कल हमारे हिंदुत्व संगठन हाजी अली के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे, तब आप लोगों की भावना आहत नहीं होगी?”
राणे ने आगे सवाल उठाया,
“मस्जिदें खाली पड़ी हैं तो वहां नमाज़ क्यों नहीं पढ़ते? आखिर सार्वजनिक ऐतिहासिक स्थलों को क्यों चुना जाता है?”
उनके इस बयान के बाद माहौल और गर्म हो गया।
‘शुद्धिकरण’ के नाम पर प्रदर्शन और झड़प
रविवार (19 अक्टूबर) को सकल हिंदू समाज और पतित पावन संगठन ने भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी के नेतृत्व में शनिवार वाड़ा पर प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान नमाज़ पढ़े गए स्थान पर गौमूत्र और गोबर छिड़ककर “शुद्धिकरण” किया गया।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की झड़प हुई, जिसके बाद मौके पर तनाव फैल गया।
पुलिस को हालात काबू में लाने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।
मुस्लिम समुदाय ने किया पलटवार
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस पूरे विवाद को भाजपा की साज़िश करार दिया।
स्थानीय मुस्लिम प्रतिनिधियों ने कहा कि
“हमारे लोग मस्जिदों में ही नमाज़ अदा करते हैं, किसी ऐतिहासिक हिंदू स्थल पर नहीं। संभव है कि शनिवार वाड़ा में नमाज़ पढ़ती दिख रही महिलाएँ वास्तव में मुस्लिम न हों। ये किसी राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है ताकि हिंदू-मुस्लिम तनाव भड़काया जा सके।”
समुदाय के वरिष्ठ लोगों का कहना है कि भाजपा नेताओं की ये रणनीति कोई नई नहीं है।
“जब-जब बेरोज़गारी, महंगाई और भ्रष्टाचार पर सवाल उठते हैं, तब-तब भाजपा के नेता धर्म के मुद्दे उछालकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं।”
ऐतिहासिक स्थल पर राजनीति का साया
शनिवार वाड़ा पेशवाओं के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक माना जाता है।
यह वही जगह है, जहां मराठा साम्राज्य की कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुईं।
मगर अब यह स्थान भी राजनीतिक और सांप्रदायिक बयानबाज़ी का अखाड़ा बनता जा रहा है।
इतिहासकारों का कहना है कि
“धार्मिक आस्था या परंपरा के नाम पर किसी भी ऐतिहासिक धरोहर का अपमान नहीं होना चाहिए। ये जगहें विरासत हैं, किसी धर्म का अखाड़ा नहीं।”
मामला अब पुलिस के संज्ञान में है, और प्रशासन ने दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
