महाराष्ट्र चुनाव से पहले कमाल फारूकी की घर वापसी: कांग्रेस को मिलेगी अल्पसंख्यक वोटों में बढ़त?
औरंगाबाद: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ी मजबूती मिली है, क्योंकि पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता और अल्पसंख्यक समुदाय में प्रभावशाली माने जाने वाले कमाल फारूकी 20 साल बाद कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए हैं। फारूकी महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य रह चुके हैं। उनके साथ उनके बेटे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के पूर्व प्रवक्ता उमर कमाल फारूकी भी कांग्रेस में लौटे हैं।
कमाल फारूकी ने 2004 में कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (BSP) से चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में एनसीपी में शामिल हो गए थे। 2013 तक वे समाजवादी पार्टी (सपा) में भी सक्रिय रहे। अब, 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में उनकी वापसी को पार्टी के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक वोटों को ध्यान में रखते हुए।
कमाल फारूकी ने कांग्रेस में वापसी के संबंध में एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, “भाजपा और उसके जैसे दलों की सांप्रदायिक घृणास्पद दक्षिणपंथी विचारधारा को हराने के लिए कांग्रेस में वापसी करने का फैसला किया है। मौजूदा माहौल में कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो वास्तव में हमारे देश की सच्ची भावना का नेतृत्व कर सकती है और उसे पुनर्स्थापित कर सकती है।” उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर भाजपा की नीतियों और विचारधारा पर हमला मानी जा रही है, जो उन्हें अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानते हैं।
कांग्रेस के लिए राजनीतिक लाभ
महाराष्ट्र में मुस्लिम आबादी लगभग 11.5% है, और इस समुदाय का समर्थन कांग्रेस के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। फारूकी जैसे वरिष्ठ नेता की वापसी से कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे मुस्लिम मतदाताओं को फिर से पार्टी के पक्ष में लाया जा सकेगा। हाल के वर्षों में, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में अपनी पैठ बनाई है, खासकर औरंगाबाद और आसपास के जिलों में, जो पहले कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाते थे। AIMIM ने मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में खींचा है, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ है।
कमाल फारूकी की वापसी से कांग्रेस को इन क्षेत्रों में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की उम्मीद है। फारूकी की राजनीतिक पकड़ और उनके अल्पसंख्यक समुदाय में सम्मानित छवि कांग्रेस को मुस्लिम मतदाताओं के बीच पुनः विश्वास स्थापित करने में मदद कर सकती है।
फारूकी परिवार की राजनीति में वापसी
कमाल फारूकी के साथ उनके बेटे उमर कमाल फारूकी की भी कांग्रेस में वापसी हो रही है। उमर फारूकी एनसीपी के राज्य प्रवक्ता और छात्र शाखा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनका राजनीति में सक्रिय होना कांग्रेस के युवा वोटरों और अल्पसंख्यक समुदाय में पार्टी की पकड़ को मजबूत करने का संकेत है।
चुनावों में कांग्रेस की रणनीति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रही है। हाल ही में पार्टी ने ‘टीम 8’ का गठन किया है, जो राज्य में चुनाव प्रबंधन का काम देख रही है। कांग्रेस इस बार हरियाणा जैसी स्थिति से बचने के लिए तैयार है, जहां विद्रोह और आंतरिक संघर्षों के कारण पार्टी को झटका लगा था। फारूकी की वापसी इस रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिससे पार्टी राज्य में अल्पसंख्यक और मुस्लिम वोटरों के समर्थन को वापस पाने की कोशिश कर रही है।
चुनौती और भविष्य
हालांकि फारूकी की वापसी से कांग्रेस को बड़ा समर्थन मिल सकता है, लेकिन AIMIM और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों से मुकाबला आसान नहीं होगा। AIMIM ने पिछले चुनावों में मालेगांव और औरंगाबाद जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है। कांग्रेस के सामने चुनौती यह होगी कि वह मुस्लिम मतदाताओं को यह यकीन दिलाए कि वे ही उनके असली प्रतिनिधि हैं और AIMIM जैसी पार्टियां केवल विभाजनकारी राजनीति कर रही हैं।
कुल मिलाकर, कमाल फारूकी की कांग्रेस में वापसी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है, जो महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ा सकती है, खासकर अल्पसंख्यक वोटों के संदर्भ में।