भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषणों में 74% का इज़ाफ़ा, BJP शासित राज्यों में 80% मामले – रिपोर्ट

नई दिल्ली: भारत में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती भाषण (Hate Speech) के मामलों में पिछले एक साल में 74% की बढ़ोतरी हुई है। यह खुलासा वाशिंगटन स्थित रिसर्च ग्रुप ‘इंडिया हेट लैब’ (India Hate Lab) की ताजा रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में भारत में कुल 1165 हेट स्पीच दर्ज किए गए, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 668 था।
चुनावी साल में नफरत भरे भाषणों में तेजी
रिसर्च के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान नफरत भरे भाषणों में सबसे अधिक उछाल देखने को मिला। अकेले 16 मार्च से 1 जून तक—जब लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हुई और मतदान खत्म हुआ—तब तक कुल हेट स्पीच का एक तिहाई हिस्सा दर्ज किया गया।
BJP शासित राज्यों में सबसे ज्यादा मामले
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पिछले साल जितने भी नफरती भाषण दर्ज किए गए, उनमें से 80% केवल भाजपा शासित राज्यों से आए। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान भी शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अप्रैल 2024 में एक समुदाय को ‘घुसपैठिया’ कहकर संबोधित किया था।
मोदी-ट्रंप मुलाकात से पहले रिपोर्ट का प्रकाशन
यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब पीएम नरेंद्र मोदी जल्द ही अमेरिका की यात्रा करने वाले हैं और वहां पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की संभावना है। इससे पहले भी ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) जैसी मानवाधिकार संस्थाएं भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और हेट स्पीच के बढ़ते मामलों पर चिंता जता चुकी हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और प्रभाव
इस रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा नेताओं ने इस रिपोर्ट को ‘पक्षपाती’ बताते हुए खारिज कर दिया है।
क्या चुनावी रणनीति के तहत नफरती भाषणों का सहारा लिया गया? यह एक सवाल है जिस पर राजनीतिक और सामाजिक विशेषज्ञ गहराई से चर्चा कर रहे हैं। आने वाले समय में इस रिपोर्ट के प्रभाव को लेकर और भी बहस छिड़ सकती है।