मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना: अपात्र लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि

मुंबई: विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना को महिलाओं से अच्छा समर्थन मिला था। चुनाव परिणामों के बाद अब इस योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं के आवेदनों की जांच हो रही है। पात्रता मापदंडों में फिट न बैठने वाली महिलाओं को योजना से बाहर किया जा रहा है। इससे पहले 5 लाख महिलाओं को अपात्र घोषित किया गया था। अब अपात्र लाडली बहनों की संख्या में और बढ़ोतरी होने वाली है।
विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद योजना की पात्रता को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। महायुति सरकार ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की सहायता राशि देने का प्रावधान था। विधानसभा चुनावों में यह योजना महायुति के लिए फायदेमंद साबित हुई थी, जिसमें लगभग 2 करोड़ 31 लाख 860 महिलाएं पात्र मानी गई थीं। सत्ता में आने के बाद अपात्र महिलाओं को योजना से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
कितनी महिलाएं हुईं अपात्र?
फरवरी में राज्य के विभिन्न जिलों में की गई जांच प्रक्रिया में अपात्र महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 2 लाख महिलाओं को अब अपात्र घोषित किया गया है। इनमें 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाएं और जिन महिलाओं के पास चार पहिया वाहन हैं, उन्हें योजना से बाहर कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के मापदंडों के अनुसार, पात्रता की जांच के दौरान सबसे पहले उन महिलाओं की पहचान की गई, जिनके पास चार पहिया वाहन हैं। इसके बाद उनके परिवार के सदस्यों के पास भी वाहन होने की स्थिति में उन्हें अपात्र घोषित किया जाएगा।
पहले घोषित हुई थीं 5 लाख महिलाएं अपात्र
पहले की गई छानबीन में 5 लाख महिलाओं को अपात्र घोषित किया गया था। इनमें संजय गांधी निराधार योजना की 2 लाख 30 हजार लाभार्थी, 65 वर्ष से अधिक उम्र की 1 लाख 10 हजार महिलाएं, नमोशक्ति योजना और अन्य योजनाओं की लाभार्थी तथा योजना से स्वेच्छा से नाम वापस लेने वाली 1 लाख 60 हजार महिलाएं शामिल थीं।