औरंगाबाद: जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव का बिगुल दिवाली के बाद, उम्मीदवारों की जोरदार तैयारी शुरू

औरंगाबाद: जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों की आधिकारिक घोषणा भले ही अभी नहीं हुई हो, लेकिन जिले में इच्छुक उम्मीदवारों ने प्रचार की तैयारियां तेज कर दी हैं। राज्य चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव चरणबद्ध तरीके से होंगे और पहले चरण में जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव शामिल होंगे।
ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि चुनाव का बिगुल दिवाली के बाद ही बजेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में आदेश दिया था कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव चार महीने के भीतर कराए जाएं। लेकिन चुनाव आयोग के पास पर्याप्त साधनसामग्री और कर्मचारी उपलब्ध न होने के कारण तैयारी के लिए अधिक समय की मांग की जा रही है। इसी वजह से सितंबर में आयोग सुप्रीम कोर्ट में समयवृद्धि के लिए अंतरिम अर्ज दाखिल करेगा। इस पूरी प्रक्रिया को देखते हुए, अब चुनाव की औपचारिक घोषणा दिवाली के बाद ही होने की संभावना है।
63 गट और 126 गणों में जोरदार हालचाल
औरंगाबाद जिला परिषद की 63 गट और पंचायत समितियों की 126 गणों में उम्मीदवारों ने अभी से ही सक्रियता बढ़ा दी है। जिले में आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 18 लाख 70 हजार 587 है। इस बार मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 2,396 हो गई है, जो पिछली बार की तुलना में 436 अधिक है।
कन्नड़ तालुका में सर्वाधिक नए मतदान केंद्र
इस बार कन्नड़ तालुका में 79 नए मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसके बाद गंगापुर में 77, वैजापुर में 69, फुलंब्री में 50, पैठण में 41, सोयगांव में 35, औरंगाबाद शहर में 30, खुलताबाद में 28 और सिल्लोड में 27 नए मतदान केंद्रों की वृद्धि हुई है।
प्रस्थापित नेताओं को झटका?
पिछले साढ़े तीन वर्षों से जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव टलते रहे हैं और इस दौरान प्रशासनिक राज रहा है। ऐसे में पहले से स्थापित नेताओं का राजनीतिक प्रभाव काफी कम हो गया है। बदलते समीकरणों के कारण प्रस्थापित नेताओं को अब दोबारा अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। यही वजह है कि इस बार चुनाव में प्रस्थापितों को झटका लगने की चर्चा तेज है।
इसी बीच, चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार जिला और तालुका स्तर पर नेताओं से गाठीभेट बढ़ा रहे हैं। दिवाली के बाद चुनाव होने की संभावना को देखते हुए अब कार्यकर्ताओं की नाराज़गी न बढ़े, इसके लिए भी उम्मीदवारों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि इस बार कई उम्मीदवारों को दिवाली पर ही जेब ढीली करनी पड़ सकती है।
