औरंगाबाद : सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक से साइबर ठगों ने 97,700 रुपये उड़ाए, पुलिस में मामला दर्ज

औरंगाबाद के पैठण रोड क्षेत्र में रहने वाले 70 वर्षीय सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक साइबर ठगी का शिकार हो गए। अज्ञात साइबर अपराधियों ने उनका बैंक खाता बंद होने का झांसा देकर उनके खाते से ₹97,700 उड़ा लिए। इस मामले में 1 सितंबर को सातारा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
28 अगस्त की शाम करीब 5 बजे पीड़ित को एक अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले का चेहरा स्क्रीन पर नजर नहीं आ रहा था। कॉलर ने खुद को बैंक से जुड़ा बताते हुए कहा कि पीड़ित का एसबीआई खाता बंद हो गया है और उसे सक्रिय करने के लिए जरूरी प्रक्रिया करनी होगी। इस बहाने उसने पीड़ित से नाम और निजी जानकारी हासिल की। इसके बाद ऑनलाइन फॉर्म भरवाकर बैंकिंग प्रक्रिया पूरी करने का नाटक किया गया। अंत में उसने पीड़ित से फोन पे का पासवर्ड भी पूछ लिया, जो उन्होंने साझा कर दिया। संदेह होने पर पीड़ित ने तुरंत कॉल काटकर मोबाइल बंद कर दिया।
10 मिनट में खाते से गायब हुए पैसे
जब तक पीड़ित को अपनी गलती का अहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महज 10 मिनट में साइबर ठगों ने उनके बैंक खाते से दो बार में ₹97,700 निकाल लिए। पीड़ित ने तुरंत परिवार को जानकारी दी और साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच के बाद सातारा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है।
साइबर अपराध से बचाव के उपाय
- अनजान नंबरों से आए कॉल या वीडियो कॉल रिसीव न करें।
- किसी भी बैंक, यूपीआई ऐप का पासवर्ड, ओटीपी, पिन किसी को न बताएं।
- बैंक कभी भी फोन पर पासवर्ड या खाता जानकारी नहीं मांगती।
- व्हाट्सएप, सोशल मीडिया या यूट्यूब पर किसी भी संदिग्ध लिंक, फॉर्म या APK फाइल पर क्लिक न करें।
- बैंक लेन-देन के लिए सिर्फ बैंक का आधिकारिक ऐप ही इस्तेमाल करें।
- संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत परिवार को बताएं या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
- यदि ठगी हो जाए तो बिना देर किए साइबर थाने में शिकायत करें ताकि खाते को फ्रीज कर पैसों को सुरक्षित किया जा सके।
ज्येष्ठ नागरिक क्यों बनते हैं आसान शिकार?
साइबर अपराधी अक्सर ज्येष्ठ नागरिकों को निशाना बनाते हैं क्योंकि उन्हें स्मार्टफोन और डिजिटल लेन-देन की गहराई से जानकारी नहीं होती। डर और भ्रम पैदा कर उनसे संवेदनशील जानकारी लेना आसान हो जाता है। इसलिए परिवार के लोगों को चाहिए कि वे घर के ज्येष्ठ नागरिकों के मोबाइल उपयोग और संदिग्ध कॉल्स पर नजर रखें।
