मनोज जरांगे पाटील की नई मांग से बढ़ी हलचल, आरक्षण विवाद में कौन सा बड़ा मोड़ आने वाला?

औरंगाबाद: राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए हैदराबाद गजट लागू करने का निर्णय लिया है। इस फैसले को लेकर सरकार के पक्ष और विपक्ष में जोरदार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। खासकर ओबीसी नेताओं की आलोचना के बाद, मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने ओबीसी समाज के लिए उपसमिति गठित करने का निर्णय लिया। इसी पृष्ठभूमि में आज मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील ने सरकार के सामने नई मांग रख दी है।
जरांगे पाटील ने कहा, “सरकार राज्य के साढ़े चौदह करोड़ लोगों की मालिक है। आपने ओबीसी समाज के लिए उपसमिति बनाई है तो अब दलित समाज और मुस्लिम समाज के लिए भी उपसमिति बनाई जाए। किसानों के लिए अलग उपसमिति बने और माइक्रो ओबीसी के लिए भी अलग उपसमिति का गठन किया जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा बनाई गई ओबीसी उपसमिति का कोई फायदा माइक्रो ओबीसी को नहीं होने वाला है।
जरांगे पाटील ने स्पष्ट किया कि, “ओबीसी समाज के लिए उपसमिति गठित की गई है तो हमें कोई नाराजगी या विरोध नहीं है। अगर यह गरीब ओबीसी समाज की समस्याएं हल करने के लिए बनाई गई है तो इसका स्वागत है। लेकिन मैं अपने समाज को आरक्षण दिलाने में सक्षम हूं। कितनी भी उपसमितियां बनाई जाएं, कितना भी विरोध किया जाए, मैं मराठों को आरक्षण दिलाकर रहूंगा। मराठों को ओबीसी में शामिल करना और मराठवाड़ा के मराठों को आरक्षण दिलाना मेरा ही काम है और यह मैं करके दिखाऊंगा।”
जरांगे पाटील के इस बयान के बाद मराठा और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है।
