अवैध रेत खनन पर गरमाई महाराष्ट्र की सियासत: अजित पवार पर लगे हस्तक्षेप के आरोप, NCP कार्यकर्ता समेत 20 पर मामला दर्ज

महाराष्ट्र में अवैध रेत खनन के मुद्दे ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। आरोप है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा को फोन कर रेत माफियाओं के खिलाफ चल रही कार्रवाई रोकने के निर्देश दिए। यह मामला उजागर होते ही विपक्ष ने इसे सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप और सत्ता के दुरुपयोग का गंभीर मामला बताया है।
एफआईआर दर्ज, NCP कार्यकर्ता मुख्य आरोपी
सोलापुर ग्रामीण पुलिस ने इस प्रकरण में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के स्थानीय कार्यकर्ता बाबा जगताप, उनके सहयोगी नितिन माली, संतोष कापरे, अण्णा धाने और 15-20 अन्य लोगों के खिलाफ कुरडुवाडी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की है। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 132 (सरकारी अधिकारी पर हमला), धारा 189(2) (अवैध सभा) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
31 अगस्त 2025 को शाम 4:30 बजे, कुरडुवाडी गांव के शिवरत कापरे बस्ती में राजस्व विभाग की टीम अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची थी। इसमें ग्राम राजस्व अधिकारी सुदर्शन बागे, बी.पी. भोसले, आईपीएस अंजना कृष्णा, उनके बॉडीगार्ड मंजीत भोसले, एएसआई मुल्ला और कांस्टेबल अतुल मोहिते शामिल थे। कार्रवाई के दौरान बाबा जगताप और उनके समर्थकों ने भीड़ इकट्ठी कर हंगामा किया और सरकारी अधिकारियों को काम से रोक दिया।
वायरल ऑडियो से मचा बवाल
इस बीच एक वायरल वीडियो/ऑडियो सामने आया जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार, आईपीएस अंजना कृष्णा से कार्रवाई रोकने की बात कहते सुनाई दिए। विपक्ष ने इसे सीधे-सीधे सत्ता का दुरुपयोग और रेत माफिया को बचाने की साजिश करार दिया है।
अजित पवार की सफाई
हालांकि, अजित पवार ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य कार्रवाई रोकना नहीं था। उनका कहना है कि वे सिर्फ बढ़ते तनाव को शांत करने की कोशिश कर रहे थे ताकि हालात न बिगड़ें। पवार ने दावा किया कि उन्होंने केवल मध्यस्थता की थी, न कि माफियाओं को संरक्षण दिया।
सियासत में गरमागरमी
यह मामला अब महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह “साफ-साफ सत्ता के दबाव में माफियाओं को बचाने की कोशिश” है। वहीं, एनसीपी समर्थकों का कहना है कि विपक्ष अनावश्यक रूप से इसे तूल देकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहता है।
👉 अवैध रेत खनन के इस विवाद ने सत्ता और प्रशासन के रिश्ते पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह मामला महाराष्ट्र की सियासत को और ज्यादा गरमा सकता है।
