जालना जिले में पशु कल्याण कानून का सख्ती से पालन होगा – जिलाधिकारी आशिमा मित्तल

जालना: (प्रतिनिधि–कादरी हुसैन) जालना जिले में अब पशु कल्याण कानून का प्रभावी और कड़ाई से पालन किया जाएगा। जिलाधिकारी आशिमा मित्तल ने नागरिकों से अपील की है कि वे पालतू और वन्य प्राणियों के प्रति दया भाव रखें तथा किसी भी प्रकार की क्रूरता या अवैध गतिविधियों से दूर रहें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गौवंश संरक्षण और पशुओं के संगोपन में समाज का सहयोग अनिवार्य है।
यह निर्देश मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को दोपहर 1 बजे जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित जिला पशु क्रूरता निवारण सोसायटी की त्रैमासिक बैठक में दिए गए। बैठक में जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिरीष बनसोडे, पशुसंवर्धन एवं दुग्ध व्यवसाय उपआयुक्त डॉ. प्रशांत चौधरी, सहायक आयुक्त डॉ. संदीप पाटील सहित विभिन्न विभागों के शासकीय और अशासकीय सदस्य उपस्थित थे।
अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई
जिलाधिकारी ने कहा कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत किसी भी व्यक्ति पर यह जिम्मेदारी है कि वह अपने पालतू प्राणियों को अनावश्यक पीड़ा या कष्ट न पहुँचाए।
- पीड़ादायी तरीके से पशुओं का परिवहन करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- अवैध गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को रियायत नहीं दी जाएगी।
- आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण के लिए भी विभाग को ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए गए।
कानूनी प्रावधान और सुरक्षा उपाय
बैठक में पशु कल्याण संबंधी विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
- जंगली और प्रवासी पक्षियों के शिकार पर रोक और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई।
- महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम 1976 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत सभी अपराध दखलयोग्य माने जाते हैं।
- महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 1995 और 4 मार्च 2015 से लागू आदेशों के अनुसार पूरे गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध है।
- गाय, बैल, वल्दे (बैल के बछड़े) की हत्या पर सजा का प्रावधान है।
पशुसंवर्धन एवं दुग्ध व्यवसाय उपआयुक्त डॉ. प्रशांत चौधरी ने जानकारी दी कि अब पशुवध-पूर्व जांच प्रमाणपत्र जारी करना पूरी तरह बंद कर दिया गया है।
नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश
- गौवंश की हत्या या अवैध परिवहन की जानकारी मिलते ही तुरंत नजदीकी पुलिस थाने, पुलिस नियंत्रण कक्ष या पशुसंवर्धन विभाग को सूचित करें।
- शिकायत दर्ज कराने के लिए विभाग ने टोल-फ्री नंबर 1800 233 0418 उपलब्ध कराया है।
- पशुओं के परिवहन के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्र और परिवहन प्रमाणपत्र साथ रखना अनिवार्य है।
बैठक में जिलाधिकारी आशिमा मित्तल ने स्पष्ट संदेश दिया कि पशु संरक्षण और कल्याण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक कर्तव्य भी है। “जिले में किसी भी प्राणी पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कानून का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी,” उन्होंने ठाम शब्दों में कहा।
