सी.पी. राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति, विपक्ष के सुदर्शन रेड्डी को दी शिकस्त

नई दिल्ली: एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत दर्ज की। निर्वाचन अधिकारी पी.सी. मोदी ने नतीजे घोषित करते हुए बताया कि राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता मत मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। इस तरह राधाकृष्णन 152 मतों के अंतर से विजयी रहे।
इस चुनाव में कुल 769 सांसदों ने मतदान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत नेताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 98 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया। मतदान सुबह 10 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे तक चला, जिसके बाद शाम 6 बजे से मतगणना प्रारंभ हुई।
चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए। दिलचस्प बात यह रही कि विपक्ष ने दावा किया कि उसके सभी 315 सांसद एकजुट रहे और मतदान किया, लेकिन गिनती में केवल 300 वैध वोट विपक्षी उम्मीदवार के पक्ष में आए। विशेषज्ञों के अनुसार, अमान्य वोट अक्सर गलत पेन के उपयोग से होते हैं। इससे पहले 2017 और 2022 के उपराष्ट्रपति चुनावों में भी क्रमशः 11 और 15 वोट अमान्य घोषित हुए थे।
क्यों हुआ उपराष्ट्रपति चुनाव?
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल अभी दो वर्ष शेष था। इसी कारण नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव कराना पड़ा। इस बार दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से थे – राधाकृष्णन तमिलनाडु से और रेड्डी तेलंगाना से।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
राधाकृष्णन तमिलनाडु की ओबीसी समुदाय गौंडर जाति से आते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े रहे हैं। उन्हें 2023 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था और 2024 में महाराष्ट्र भेजा गया। राजनीति में उनकी यात्रा 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ शुरू हुई। 1999 में वह फिर से सांसद बने। राज्यपाल रहते हुए उन्होंने विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी से परहेज किया, जिससे उन्हें संतुलित छवि वाला नेता माना जाता है।
कौन हैं सुदर्शन रेड्डी?
विपक्षी प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं। वे गोवा के लोकायुक्त भी रहे हैं। जस्टिस रेड्डी ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें छत्तीसगढ़ की सलवा जुडूम अभियान को असंवैधानिक ठहराना और विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश प्रमुख है।
निष्कर्ष
कड़े मुकाबले की उम्मीद के बीच राधाकृष्णन ने स्पष्ट बहुमत से जीत दर्ज कर देश के 17वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। अब सबकी नजरें इस पर होंगी कि वह इस पद पर रहते हुए किस तरह संतुलित और निष्पक्ष भूमिका निभाते हैं।
