मराठा आरक्षण पर नया विवाद: हाईकोर्ट में चुनौती, छगन भुजबळ भी उतरेंगे कानूनी जंग में

मुंबई: गणेशोत्सव के दौरान मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील ने मुंबई के आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन उपोषण शुरू किया था। इस आंदोलन में राज्यभर से भारी संख्या में मराठा समाज के लोग मुंबई पहुंचे, जिससे सरकार पर बड़ा दबाव बना। आंदोलन के दबाव में आकर सरकार ने 2 सितंबर 2025 को ‘हैदराबाद गजेटियर’ के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र देने की मंजूरी देते हुए एक जीआर (सरकारी अधिसूचना) जारी किया था।
लेकिन अब इसी जीआर को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। इसके खिलाफ दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं – एक शिव अखिल भारतीय वीरशैव युवक संघटना की ओर से और दूसरी याचिका वकील विनीत धोत्रे द्वारा।
याचिकाओं के मुख्य मुद्दे और मांगें
- 2 सितंबर की अधिसूचना को अवैध बताया गया है।
- हैदराबाद गजेटियर का उपयोग करके कुनबी प्रमाणपत्र देना संविधान के मानदंडों का उल्लंघन है।
- जीआर को रद्द किया जाए और सुनवाई पूरी होने तक इसकी अमलवारी रोकी जाए।
- अंतरिम आदेश के रूप में किसी को भी इस जीआर के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र न दिया जाए।
इन याचिकाओं पर जल्द ही मुंबई उच्च न्यायालय में सुनवाई होने की संभावना है। अब अदालत में आगे क्या फैसला होता है, इस पर सबकी नज़रें टिकी हैं।
छगन भुजबळ भी जाएंगे अदालत
इधर, इस सरकारी फैसले का विरोध करते हुए राज्य मंत्री तथा अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भुजबळ ने भी न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने की घोषणा की है। उनकी टीम इस समय दस्तावेज़ों की जांच-पड़ताल में जुटी है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद वे भी उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे।
