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खून से दहला औरंगाबाद शहर – रिक्शा चालक इमरान की तलवारों से हत्या, परिजनों का पुलिस आयुक्तालय पर बवाल

औरंगाबाद/प्रतिनिधि 

औरंगाबाद में बुधवार देर रात एक बार फिर खून-खराबे ने दहशत फैला दी। सातारा थाना क्षेत्र में रिक्शा चालक सय्यद इमरान (35) की कार सवार गुंडों ने तलवारों से नृशंस हत्या कर दी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात करीब 9 बजे इमरान अपने बच्चों को कुछ खिलाने रिक्शा लेकर निकले थे। तभी 4–5 हमलावरों ने उनकी गाड़ी रोक ली और तलवारों से ताबड़तोड़ वार शुरू कर दिए। हमले में उनका हाथ का पंजा कटकर अलग हो गया और गर्दन पर गहरे वार से मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

📹 सीसीटीवी से पहचान, दो गिरफ्तार
स्थानीय नागरिकों की सूचना पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस ने 2 हमलावरों को हिरासत में ले लिया, जबकि हत्या में इस्तेमाल की गई कार जब्त कर ली गई है। सातारा पुलिस थाने में हत्या का मामला दर्ज कर आगे की जांच जारी है।

⚰️ शव रखकर पुलिस आयुक्तालय पर प्रदर्शन
गुरुवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया। गुस्साए परिवारजन सीधे पुलिस आयुक्तालय पहुंचे और शव एम्बुलेंस से बाहर निकालकर जमीन पर रख दिया। उन्होंने साफ कहा कि जब तक हत्या के मुख्य षड्यंत्रकारी को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक शव नहीं उठाया जाएगा।

स्थिति तनावपूर्ण होते देख पुलिस उप आयुक्त, एसीपी और क्राइम ब्रांच के अधिकारी मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजन शव लेकर घर लौटे और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हुई।

👨‍👩‍👦 परिजनों का आरोप – छावनी पुलिस की लापरवाही
मृतक इमरान के परिजनों ने छावनी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुराने झगड़े को लेकर कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन समय रहते कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि अगर पुलिस ने पहले ही कदम उठाए होते तो इमरान की जान बच सकती थी। उन्होंने पुलिस आयुक्त से छावनी थाना प्रभारी के खिलाफ लिखित शिकायत भी दर्ज कराई।

📊 अपराधों की बाढ़, पुलिस की साख पर सवाल
औरंगाबाद में पिछले 6 महीनों में 20 से अधिक हत्याएँ और 75 से ज्यादा जानलेवा हमले हो चुके हैं। लगातार बढ़ते अपराधों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। सामाजिक संगठनों का आरोप है कि हफ्ता वसूली की छत्रछाया में गुंडों के हौसले बुलंद हो रहे हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।

💥 अपराधियों पर नकेल कब?
शहरवासियों का कहना है कि गुंडे चुस्त और पुलिस सुस्त नज़र आ रही है। सवाल यह है कि –

  • कब तक औरंगाबादवासी यूं ही खून-खराबे के मंजर देखते रहेंगे?
  • कब तक हफ्ताखोरी की फसल से अपराध का जंगल पनपता रहेगा?
  • और आखिर कब पुलिस आयुक्त अपराधियों की कमर तोड़ने में कामयाब होंगे?

नागरिकों का गुस्सा अब इस मांग में बदल रहा है कि औरंगाबाद में अपराधियों के खिलाफ कड़ी और ठोस कार्रवाई हो, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।

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