जालना पुलिस पर अवैध नीलामी का आरोप — सामाजिक कार्यकर्ता साद बिन मुबारक द्वारा औरंगाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

जालना/कादरी हुसैन
जालना जिले के कदीम जालना पुलिस स्टेशन के अधिकारियों पर शासन की संपत्ति का दुरुपयोग और अवैध नीलामी करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता साद बिन मुबारक ने औरंगाबाद खंडपीठ (Aurangabad Bench of Bombay High Court) में फौजदारी याचिका दायर की है। याचिका अधिवक्ता बाबासाहेब विष्णू ढगे के माध्यम से दाखिल की गई।
जानकारी के अनुसार, कदीम जालना पुलिस स्टेशन ने कई वाहन — जैसे ट्रैक्टर ट्रॉली, टाटा 407, जीप, स्विफ्ट कार और अन्य — विभिन्न मामलों में जब्त किए थे। लेकिन साद बिन मुबारक के अनुसार, इन वाहनों को रातों-रात सिर्फ ₹1,02,000 में अवैध रूप से नीलाम किया गया, जबकि उनकी वास्तविक बाजार कीमत लगभग ₹12 लाख थी।
याचिका में कहा गया कि जब्त वाहनों के स्पेयर पार्ट्स कटर से काटकर बेचे जा रहे थे। अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद नीलामी रोकने के आदेशों का पालन नहीं किया गया। 1 जुलाई 2025 को तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी हादगल साहेब के तबादले के बाद ही यह अवैध नीलामी की गई।
आरटीओ जालना कार्यालय ने वाहनों का मूल्यांकन मात्र ₹64,000 दिखाया, जबकि वास्तविक कीमत लाखों में थी। इस अवैध नीलामी में लगभग 45 वाहन बेचे गए और इससे शासन को लाखों रुपये का नुकसान हुआ।
याचिका में प्रतिवादी अधिकारी निम्नलिखित हैं:
- पुलिस निरीक्षक, कदीम जालना पुलिस स्टेशन
- पुलिस अधीक्षक, जालना
- विशेष पुलिस महानिरीक्षक, छत्रपती संभाजीनगर परिक्षेत्र
- पुलिस महासंचालक, मुंबई
- उपविभागीय दंडाधिकारी, जालना
- पुलिस सिपाही सदाशिव विनायक राठोड़
- पुलिस सिपाही मतीन इस्माईल शेख
- पुलिस सिपाही अमजद गफ्फार खान
- पुलिस सिपाही भगवान आसाराम राठोड़
- पुलिस सिपाही विनोद गणेश उरफाटे
- प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ), जालना
- व्यवसायी शेख अशफाक शेख इसान, भोकरदन
साद बिन मुबारक ने याचिका में कहा कि अधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर जब्त संपत्ति की अवैध बिक्री से शासन को भारी आर्थिक नुकसान और न्याय व्यवस्था को ठेस पहुँची है।
याचिका की पहली सुनवाई 3 सितंबर 2025 को हुई थी और अगली सुनवाई 6 नवंबर 2025 को निर्धारित है।
